संघर्ष तथा प्रतिस्पर्धा में क्या अंतर है? यहां 10 मुख्य अंतर असानी से समझें- 1.संघर्ष चेतन प्रक्रिया है, जबकि प्रतिस्पर्धा अवचेतन प्रक्रिया है। परिणाम
संघर्ष तथा प्रतिस्पर्धा में क्या अंतर है? यहां 10 मुख्य है: को बताया गया है। इस लेख को पढ़कर संघर्ष और प्रतिस्पर्धा के बीच का अंतर समझ पाएंगे। संघर्ष के परिणाम क्या होता है?प्रतियोगिता और संघर्ष के बीच 10प्रमुख अंतर की तुलनात्मक जानकारी दी गई है। तो आइए संघर्ष तथा प्रतिस्पर्धा में क्या अंतर है? 10 मुख्य है, को विस्तार से जानते हैं -
संघर्ष तथा प्रतिस्पर्धा में क्या अंतर है? यहां 10 मुख्य है |
संघर्ष तथा प्रतिस्पर्धा से क्या समझते है?
संघर्ष मानवीय संबंधों में विद्यमान रहने वाली एक अनिवार्य व स्वभाविक सामाजिक प्रक्रिया है।
- जिसमें व्यक्ति या समूह अपने उद्देश्यों की प्राप्ति अपने विरोधी को हिंसा या हिंसा के भय के द्वारा प्रत्यक्ष चुनौती देते हैं।
- इसमें वो सभी प्रक्रियाएं सम्मिलित हैं- जिसके द्वारा मनुष्य किसी उद्देश्य की प्राप्ति के लिए एक-दूसरे के विरुद्ध कार्य करते है।
- एक दूसरे से आगे निकल सकते हैं या खुद को बेस्सट कर सकते हैं।
- प्रतिस्पर्धा का मतलब व्यक्तियों समूहों, राष्ट्रों, जानवरों के बीच भूक्षेत्र, पद, प्रतिष्ठा या
- संसाधनों के आवंटन आदि के लिए संघर्ष (मुकाबला) को प्रतियोगिता या प्रतिस्पर्द्धा कहते हैं।
- दो या दो से अधिक व्यक्तियों के द्वारा सामान लक्ष्य की प्राप्ति के लिए किए गए प्रयत्न को प्रतिस्पर्धा कहते हैं।
- सामान्य लक्ष्य की प्राप्ति के लिए एक दूसरे से आगे बढ़ने की दौड़ को प्रतिस्पर्धा कहते हैं।
- समान लक्ष्य की प्राप्ति के लिए उस कठिन दौड़ में जो कठिनाई आती है
- उसे दूर करने के लिए जो प्रयत्न किए जाते हैं, संघर्ष कहलाता है।Read More: Psychology Facts
संघर्ष तथा प्रतिस्पर्धा क्यों जरूरी है?
- प्रतिस्पर्धा मनुष्य को आगे बढ़ने और उसे कुछ अलग करने,
- लक्ष्य प्राप्त करने और स्वयं का आकलन करने के लिए आवश्यक है ।
- इससे मनुष्य अपनी क्षमताओं योग्यता और गुणों को जानता है। ये प्रतियोगिता कई प्रकार के होते हैं।
- समाज में यह प्रतिस्पर्धा और जरूरी हो जाता है। लोग भूमि, भोजन और अपनों/साथ जैसे मूर्त संसाधनों पर प्रतिस्पर्धा तो कर ही सकते हैं।
- लेकिन सामाजिक पूंजी जैसे अन्य संसाधनों पर भी प्रतिस्पर्धा करते हैं।
- इन सभी क्षेत्रों में जीवन में सफल होने के लिए संघर्षों का सामना करना जरूरी है।
- संघर्ष व्यक्ति को मजबूत बनाते हैं, संघर्षों का डटकर सामना करने वाला व्यक्ति ही जीवन के हर पड़ाव पर सफलता प्राप्त करता है।
- बिना संघर्ष आप आगे नहीं बढ़ सकते। इसलिए संघर्ष जरूरी हो जाता है।Learn more
संघर्ष तथा प्रतिस्पर्धा में 10 मुख्य अंतर क्या है?
जो 10 मुख्य अंतर है-
- जहां संघर्ष चेतन प्रक्रिया है, प्रतिस्पर्धा अवचेतन प्रक्रिया है।
- संघर्ष वैयक्तिक प्रक्रिया है, प्रतिस्पर्धा अवैयक्तिक प्रक्रिया है।
- संघर्ष कभी-कभी होता है, प्रतिस्पर्द्धा निरंतर होती है।
- संघर्ष में विवाद और असहमति शामिल है
- जबकि प्रतिस्पर्धा किसी भी संघर्ष या कठोर भावना के बिना हो सकती है।
- संघर्ष में विरोधियों को हानि पहुंचाना प्रमुख उद्देश्य होता है
- प्रतिस्पर्धा में विरोधियों के प्रति कम द्वेष होता है।
- संघर्ष में स्वार्थ सिद्धि के साथ विरोधी को समाप्त करना भी उद्देश्य होता है
- प्रतिस्पर्धा का उद्देश्य लक्ष्य प्राप्त करना होता है।
- संघर्ष में सामाजिक नियमों का पालन नहीं किया जाता
- प्रतिस्पर्धा में सामाजिक नियमों का कठोरता से पालन किया जाता है
- संघर्ष में हिंसा का प्रयोग करता है, प्रतिस्पर्धा अहिंसा के सिद्धांत पर आधारित है।
- संघर्ष में प्रायः दोनों विरोधियों को हानि होती है, प्रतिस्पर्धा में दोनों पक्षों को लाभ होता है।
- संघर्ष विघटनकारी है, प्रतिस्पर्धा न्यूनतम पृथक करने वाली प्रक्रिया है।
- संघर्ष परिश्रम को प्रोत्साहित करता है, प्रतिस्पर्धा परिश्रम को हतोत्साहित करती है।
- संघर्ष उत्पादन को कम करता है, प्रतिस्पर्धा उत्पादन बढ़ाता है।
- प्रतिस्पर्धा एक स्वस्थ प्रक्रिया है जो खुफिया, नवाचार और उधमिता को प्रोत्साहित करती है
- जबकि संघर्ष ऐसे सभी अवधारणाओं को कुचलने देता है।
प्रतिस्पर्धा में हमेशा ही नैतिकता एवं सही आचरण का पालन किया जाता है, जबकि संघर्ष में यह सब कुछ नहीं होता ।
संघर्ष के परिणाम क्या होता है?
संघर्ष के परिणाम यहां निम्नलिखित हैं-
स्व समूह में एकरूपता:- समूहों में संगठन का जन्म होता है और आंतरिक विवादों तथा मतभेदों का अंत होने के साथ ही कार्यों एवं विश्वासों में एकरूपता आती है।
समूह में एकता की कमी:- जब समूह में संघर्ष होता है, तो उसमें एकता समाप्त हो जाती है और मतभेद बढ़ जाते हैं। साथ ही नियंत्रण कमजोर हो जाता है।
व्यक्तित्व में परिवर्तन:- समूह संघर्ष अथवा समूह में प्रथम संघर्ष दोनों ही स्थितियों में कुछ लोग अवश्य ऐसे होते हैं, जो दोनों पक्षों से संबंध रखते हैं।
ऐसे व्यक्तियों के आदर्श, उद्देश्य, मूल्य दो भागों में विभक्त हो जाते हैं। Read more: List of Phobias
तनावपूर्ण तथा संवेगिक विघटन होता है, दृष्टिकोण सीमित हो जाता है और घृणा का वीभत्स रूप देखने को मिलता है।
खून-खराबा तथा आर्थिक हानि:- संघर्ष में जन तथा धन दोनों की हानि होती है।
यदि दोनों पक्ष समान शक्तिशाली हो तो व्यवस्थापन होता है अन्यथा इसका परिणाम अधिपत्य होता है।