ग्लोसोफोबिया कैसे दूर होगा - कारण, लक्षण, उपचार GLOSSOPHOBIA IN HINDI सर्वजनिक बोलने का डर क्यों लगता है और इस पर काबू कैसे पाए ।

ग्लोसोफोबिया कैसे दूर होगा - कारण, लक्षण, उपचार GLOSSOPHOBIA IN HINDI और इस पर काबू कैसे पाए । ग्लोसोफोबिया का निदान सुझाव। GLOSSOPHOBIA KYA HAI In Hindi. बोलने की कला कैसे सीखे

डर (Fear) हमारे शरीर के नर्वस सिस्टम में होने वाले बदलाव के कारण होता है, जो सीधे जाकर मस्तिष्क में असर करता है। आप इसे दिमाग में रसायनिक बदलाव की वजह से व्यवहार में होने वाले परिवर्तन के रूप में समझ सकते है।

किसी भी वस्तु या घटना से जरूरत से ज्यादा डर फोबिया (Phobia) कहलाता है। यह हल्की घबराहट से लेकर लकवाग्रस्त भय अवसाद तक हो सकता है । आइए ग्लोसोफोबिया को विस्तार से जानते हैं 

ग्लोसोफोबिया कैसे दूर होगा - कारण, लक्षण, उपचार GLOSSOPHOBIA IN HINDI
ग्लोसोफोबिया कैसे दूर होगा - कारण, लक्षण, उपचार GLOSSOPHOBIA IN HINDI

बोलने के डर को ग्लोसोफोबिया कहते हैं। यह भाषण का भय कहलाता है और यह एक बहुत ही सामान्य समस्या है, जो लोगों को सार्वभौमिक तौर पर प्रभावित करती है।

ग्लॉसोफोबिया की वजह से व्यक्ति उच्च स्तर की तनाव और चिंता का सामना करता है, जो उन्हें भाषण के दौरान प्रभावित करता है और उनकी भाषण क्षमता को प्रभावित कर सकता है।

ग्लोसोफोबिया क्या होता है?

ग्लोसोफोबिया क्या होता है? GLOSSOPHOBIA KYA HAI In Hindi - GLOSSOPHOBIA एक ऐसी स्थिति है जिसे लोग भाषण या प्रस्तुति करते समय होने वाली डर या डर की भावना के रूप में जानते हैं।

यह 'भय' लोगों को सामने वाले लोगों के सामने बोलने, प्रस्तुति करने, या सार्वजनिक भाषण देने से रोकता है।
इस भय से भाषण करने के दौरान व्यक्ति में शर्म, घबराहट, हाथ कांपना, दिल की धड़कन तेज हो जाना, बुद्धि का ठंडा हो जाना आदि के रूप में दिख सकता है। यह एक आम भय है  जिसमें कई लोगों को समाज में भाषण करने में परेशानी होती है।
  • पब्लिक स्पीकिंग का डर:
  • दोस्तों आप जानना चाह रहे होंगे कि -
  • सार्हवजनिक, समूह या मंच आदि पर बोलने में डर क्यों लगता है?
  • बता दूं आपको कि डर किस वजह से लगता है
  • वैज्ञानिकों के माने तो दिमाग में पाए जाने वाले दो ऐसे सर्किट हैं
  • जिनकी वजह से इंसान डर महसूस करता है।
इसके लिए कैल्सीटोनिन जीन रिलेटेड पेप्टाइड और न्यूरॉन्स में दिमाग के एमिग्डाला का हिस्सा मिलकर लोगों में डर की भावना पैदा करता है और लोग दर प्रदर्शित करते हैं।

ग्लोसोफोबिया का अर्थ क्या होता है?

ग्लोसोफोबिया का अर्थ क्या होता है? Glossophobia Meaning in Hindi - 
  • Glossophobia का अर्थ होता है "भाषण का भय" या "बोलने का डर"।
  • यह शब्द दो ग्रीकी शब्दों से बना है - 
  • Glosso जिसका अर्थ होता है "भाषण"
  • और "phobia" जिसका अर्थ होता है "डर"।
  • इसे भाषा अभियांत्रिकी (speech anxiety)
  • या बोलने का डर (fear of speaking) भी कहा जाता है।
इस भय के कारण लोग भाषण देने से बच सकते हैं और उन्हें शर्मिंदगी, घबराहट, हाथ कांपना, दिल की धड़कन तेज हो जाना आदि की भावनाएं हो सकती हैं।

ग्लॉसोफोबिया (Glossophobia) एक भयानक स्थिति है जिसमें व्यक्ति को सामने भाषण करने में बहुत ज्यादा डर और असुरक्षा का सामना करना पड़ता है। 

इस समस्या का समाधान विभिन्न तकनीकों और समर्थन के माध्यम से किया जा सकता है, 
  1. जैसे कि भाषण के लिए अभ्यास करना, 
  2. सकारात्मक मानसिकता विकसित करना, 
  3. सार्वजनिक स्पीकिंग क्लासेस या समर्थन समूहों में शामिल होना।
कई लोग अपने भय को पार करके सकारात्मक भाषण करने की क्षमता प्राप्त करते हैं और समय के साथ इसमें सुधार होता है।

ग्लोसोफोबिया के कारण क्या है Glossophobia

 Glossophobia ग्लोसोफोबिया विभिन्न कारणों से हो सकता है। जैसे- भाषण की अनुभूति की कमी, सामने वाले लोगों के सामंजस्यपूर्ण या आक्रोशी भावनाएं, सार्वजनिक उपस्थिति में संवाद करने की अनुभवहीनता, या अनुभवहीनता और अभ्यास की कमी आदि। जिनमें से कुछ मुख्य कारण हैं:
  1. अनुभवहीनता: भाषण करने का अनुभव न होने के कारण लोग भयभीत हो सकते हैं।
  2. सामुदायिक प्रतिस्पर्धा: कई लोग भाषण के समय परोक्ष या नेगेटिव ताकत के डर से ग्रस्त होते हैं जो सामुदायिक स्थलों में अपने विचारों को प्रकट करने में रुकावट डाल सकता है।
  3. जीवन के आरंभ में नकारात्मक अनुभव एवं सोच के तरीके: सोचने के तरीके और गलत अनुभवों के कारण भी ग्लॉसोफोबिया हो सकती है। यदि किसी व्यक्ति ने बचपन से भाषण के साथ नकारात्मक अनुभव किये हों तो वह भाषण के दौरान डर सकता है। आप का मजाक उड़ाया गया था आदि।
  4. अनुवांशिक पर्यावरणीय जैविक और मनोवैज्ञानिक कारण: इन कारणों से भी Glossophobia उत्पन्न होता है। यह यह एक सामाजिक चिंता विकार है। यह विकार बनने के कई संभावित मूल कारण और ट्रीगर है। इस लडाई या उड़ान प्रतिक्रिया की जड़े हमारे पूर्वजों में है।
ऐसा कहा जाता है कि दुनिया के 75% आबादी (मतलब 200 मिलियन से अधिक लोग) इस फोबिया से पीड़ित हैं। जो अपने जीवन में किसी समय इस फोबिया से प्रभावित होती है । 

ग्लोसोफोबिया सबसे आम हो गया में से एक है। अमेरिका में 18 वर्ष से अधिक आयु के 40 मिलियन लोग विभिन्न प्रकार की चिंता से पीड़ित होते हैं। 

ग्लोसोफोबिया के लक्षण:

ग्लॉसोफोबिया के कुछ लक्षण निम्नलिखित हो सकते हैं:
  1. व्यक्ति भाषण के लिए तैयारी करते समय या भाषण के समय व्यक्ति तनावपूर्वक और चिंतित रहता है।
  2. भाषण के पहले या दौरान व्यक्ति नर्वस हो सकता है और यह दिखता भी है।
  3. भाषण के समय हाथों का कंपन, श्वास की समस्या, अचेतनता का अनुभव आदि शारीरिक अस्थिरता हो सकती है।
  4. ग्लॉसोफोबिया वाले व्यक्ति साक्षात्कारों या सार्वजनिक स्थलों में बोलने से बच सकते हैं।
  • तनाव और चिंता
  • नर्वस होना
  • शारीरिक अस्थिरता
  • साक्षात्कार से बचना
  • दिल की धड़कन तेज हो जाना
  • बुद्धि का ढंठा हो जाना 
  • कांपती आवाज़ के साथ हकलाना तनाव कमजोर महसूस करना
  • बार-बार बाथरूम की जरूरत पड़ती है 
  • मतली और उल्टी होना पसीना, आना , चक्कर आना,
  • गर्दन और ऊपरी पीठ की मांसपेशियों में तनाव

ग्लोसोफोबिया(Glossophobia) का निदान:

ग्लॉसोफोबिया का निदान करवाना महत्वपूर्ण है ताकि इसे सही ढंग से निपटा जा सके। निदान के लिए निम्नलिखित चरणों का पालन किया जा सकता है:

यदि ग्लोसोफोबिया आपके रोज़मर्रा के जीवन में कार्य को असहज बना रहा है या आपके जीवन को प्रभावित कर रहा है, तो अपने चिकित्सक या मानसिक स्वास्थ्य पेशेवर से संपर्क करना महत्वपूर्ण है। उन्हें आपकी स्थिति का समझाना और उचित निदान और उपचार की सलाह देना उचित होगा।

यहां कुछ निदान और उपचार के आम तरीके दिए गए हैं

निम्नवत चरण है-

  1. मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ का संपर्क: एक मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ से संपर्क करने से पहले, अपनी समस्या को विस्तार से समझें और अपने भय के पीछे के कारणों का पता करने का प्रयास करें।
  2. विश्वास करना: खुद को और अपनी क्षमताओं को समझना और स्वयं पर विश्वास करना महत्वपूर्ण है।
  3. उचित तैयारी: अध्ययन और अभ्यास के माध्यम से भाषण के लिए उचित तैयारी करने से भय को कम किया जा सकता है।
  4. व्यायाम और योग: नियमित व्यायाम और योग करने से तनाव कम हो सकता है और भाषण के समय स्वास्थ्यपूर्ण शारीरिक अवस्था बनी रहती है।
  5. उपयोगी और अधिक जानकारी : विषय से संबंधित उपयोगी और इनफॉर्मेटिव जानकारी इकट्ठा कर विषय का अभ्यास करना चाहिए। मिरर के सामने प्रैक्टिस करने से भय कम हो सकता है।
  6. आई कैन डू इट खुद को मोटिवेट करें : मैं कोई गलती नहीं कर सकता। क्या सकार करें कि प्रस्तुत करते समय लोग गलतियां करते हैं । यह सोचे कि गलतियां सबसे होती है और मैं अपना बेस्ट दूंगा/दूंगी। आत्मविश्वास बढ़ जाएगा।
  7. अपनी बिषय सामग्री को जाने: आप अपने विषय में सक्षम है तैयार की गई सामग्री बढ़िया है और आप ही अच्छी तरह से जानते हैं। धीरे बोले, पानी का ग्लास रखें। दर्शकों की कल्पना करें तथा अपने दर्शकों को समझे। यह मत कहे कि आप कितने घबराए हुए हैं। आश्वस्त रहें।

ग्लोसोफोबिया का उपचार:

  1. संवेदनशीलता प्रशिक्षण: भाषण के लिए संवेदनशीलता प्रशिक्षण लेना मददगार साबित हो सकता है।
  2. समर्थन समूह: समर्थन समूह या ग्लॉसोफोबिया समर्थन समूह से जुड़ना भय को सामना करने में मदद कर सकता है।
  3. ध्यान एवं मेडिटेशन: ध्यान और मेडिटेशन भय को कम करने में मदद कर सकते हैं और मानसिक शांति उपलब्ध कर सकते हैं।
  4. वक्तव्यवस्था: अपने भाषण को स्ट्रक्चर करने के लिए वक्तव्यवस्था और धीरे-धीरे वक्ता होने की अभ्यास करना उपयुक्त हो सकता है।
  5. तकनीकी युक्तियाँ: भाषण देने के लिए विभिन्न तकनीकों और युक्तियों का सीखना और उन्हें अपनाना भय को कम करने में मदद कर सकता है।
  • यदि आपकी चिंता गंभीर है तो डॉक्टर आपको कुछ दवाएं एटिवन या जैनक्स जैसे बेंजोडायजेपाइन लिख सकते हैं।
  • सेरोटोनिन जैसे मस्तिष्क रसायन व्यक्ति के मूड के स्तर को नियंत्रित करने में मदद करते हैं।
  • फोबिया अभय दौरान मूड का स्तर नीचे चला जाता है।
  • चिंता रोधी और अवसाद रोधी दवाएं इस प्रकार के मस्तिष्क रसायनों को संबोधित करने में मदद कर सकती है।

सम्बंधित ग्लॉसोफोबिया

ग्लॉसोफोबिया को सही ढंग से पहचाना और इसका सामना करना महत्वपूर्ण है। इस समस्या का सामना करने के लिए और अधिक सुझाव दिए गए हैं:

  1. उचित संचयन: ग्लॉसोफोबिया के सामने अपने डर को संचयित करना और उसे खुद में रखने की कोशिश करें। यह आपको उसे पहचानने और उसका सामना करने में मदद कर सकता है।
  2. Therapy (CBT): सक्रिय भूतकाल समाधान या संज्ञानात्मक व्यवहार थेरेपी (CBT) एक मानसिक चिकित्सा तकनीक है जो भय को कम करने के लिए उपयोगी हो सकती है। इसमें भय के आधारित संबंधित विचारों एवं धार्मिक विचारों और सामाजिक संस्कृतियों को पुनः विचार किया जाता है और सकारात्मक सोच को प्रोत्साहित किया जाता है।
  3. विकल्प चिकित्सा: विकल्प चिकित्सा भी ग्लोसोफोबिया के उपचार के लिए उपयुक्त हो सकती है। इसमें विभिन्न चिकित्सा तकनीकों का उपयोग किया जा सकता है, जैसे कि ध्यान, योग, शारीरिक कसरत, श्वास प्रशिक्षण आदि।
  4. संवेदनशीलता दृढ़ीकरण: संवेदनशीलता दृढ़ीकरण व्यायाम और भावनात्मक समर्थन का संयोजन करता है जिससे आत्मविश्वास बढ़ता है और भय को सामना करने में मदद मिलती है।
  5. सार्वजनिक समूह में शामिल होना: अपने भय को सामना करने के लिए सार्वजनिक समूहों में शामिल होना मददगार साबित हो सकता है। इससे आपको भाषण के लिए आत्मविश्वास मिलता है और आप अपने भय को पार करने की कोशिश करते हैं।
  6. स्वयं में सकारात्मक बातचीत: खुद से सकारात्मक बातचीत करना और खुद को प्रशंसा करना भय को कम करने में मदद कर सकता है।
  7. विशेषज्ञ की सलाह: ध्यान देने योग्य है कि ग्लॉसोफोबिया यह संवेदनशील विषय हो सकता है। जिसका समाधान मानसिक स्वास्थ्य पेशेवरों और विशेषज्ञों की मदद से किया जा सकता है। बहुत सारे लोग संज्ञानात्मक व्यवहार थेरेपी सीबीटी (CBT) के साथ अपने Glossophobia पर काबू पाने में सक्षम है।

यदि Glossophobia आपके दैनिक जीवन और समाजिक वार्तालापों को प्रभावित कर रहा है, तो मानसिक स्वास्थ्य पेशेवर से चर्चा करें और उचित उपचार के लिए सलाह लें।

ग्लोसोफोबिया का सामना करना स्वयं ही चुनौतीपूर्ण हो सकता है, लेकिन कई मामलों में, इस समस्या का सामना करने में सहायत, उचित समर्थन और उपचार से यह समस्या प्रभावी रूप से संघटित की जा सकती है। भय को कम किया जा सकता है।

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