Autism meaning,ऑटिज्म क्यों होता है।Autism Spectrum Disorder in Hindi ऑटिज्म का अर्थ कारण लक्षण इलाज, निदान और उपचार।Autism kya hai(ASD) ऑटिज्म चाइल्ड

 ऑटिज्म[Autism] का अर्थ, कारण, लक्षण, निदान और उपचार in Hindi - बच्चों में ऑटिज्म का केस लगातार देखने को मिल रहें है। ऐसा क्यों, इस लेख में आज यही जानेंगे कि ऑटिज्म क्या है? ऑटिज्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर(ADS) शिशुओं के लक्षण। ऑटिज्म का इलाज हुआ है? ऑटिज्म होने का मुख्य कारण क्या है? ऑटिज्म के लक्षण कब शुरू होते हैं?ऑटिज्म की पहचान कैसे की जाती है ऑटिस्टिक बच्चे कब बोलते हैं? इस पर चर्चा की गई है।

AUTISM SPECTRUM DISORDER in Hindi  : ऑटिज्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर एक प्रकार की डेवलपमेंट डिसेबिलिटी है जिसमें एक व्यक्ति ठीक प्रकार से कम्युनिकेट करने और खुद को एक्सप्रेस करने की क्षमता खो देता है।

 इससे पीड़ित व्यक्ति या बच्चे में दूसरे के व्यवहार और अभिव्यक्ति को समझने की क्षमता कम हो जाती है। यह एक  विकास संबंधी गड़बड़ी है। जिससे पीड़ित व्यक्ति को बातचीत करने में बोलने में और समाज में मेलजोल बनाने में परेशानी आती है। 

ऑटिज्म[Autism] का अर्थ, कारण, लक्षण, निदान और उपचार in Hindi
ऑटिज्म[Autism] क्या है?

कुछ स्टडीज में ऐसा देखा गया है कि विशेषज्ञों द्वारा डायग्नोसिस और इंटरवेंशन ट्रीटमेंट सर्विसेज की जल्द मदद से अधिक लोगों को सामाजिक, परिवारिक और नए स्किल सीखने में मदद मिलती है। अपने जीवन को बेहतर तरीके से जी पाते हैं और सफल हो पाते हैं। आइए ऑटिज्म[Autism] को विस्तार से जानते हैं 

दोस्तों आपने फिल्म तारे ज़मीन पर देखा होगा। ऑटिज्म चाइल्ड के बारे में दिखाया गया है। यह विकार व्यक्ति के जीवन के विभिन्न पहलुओं पर प्रभाव डाल सकता है, जैसे कि शिक्षा, काम, और सामाजिक इंटरेक्शन, अन्य स्किल आदि।

ऑटिज्म[Autism] स्पेक्ट्रम डिसआर्ड क्या है?

Autism kya hai in Hindi :- ऑटिज्म मस्तिष्क के विकास के दौरान होने वाला विकार है। जो तांत्रिका तंत्र पर असर करता है। 

  • विकास से संबंधित इस प्रकार के मानसिक बीमारी का लक्षण बच्चों में 
  • जन्म लेने के तीन चार महीने के बाद से लेकर 3 वर्ष की आयु में नजर आने लगते हैं।
  • इसे आत्मविमोह और स्वपरायणता भी कहते हैं।स्वलीनता इसका दूसरा नाम है। 
  • ऑटिज्म स्पेक्ट्रम डिसआर्ड (ASD) एक न्यूरोडेवलपमेंटल डिसआर्ड है, 
  • जिसका मतलब है मस्तिष्क के विकास में समस्या होना।
  • ऑटिज़्म स्पेक्ट्रम में व्यक्तियों की सामाजिक भावनाओं, संवाद कौशलों, और पेशेवर रुचियों में अंतर होता है।
  • 2 से 9 वर्ष की आयु के लगभग 1 से 1.5% बच्चों में ASD का निदान किया जाता है । 

EThealth वर्ल्ड की एक रिपोर्ट के अनुसार भारत में लगभग 18 मिलीयन लोग ऑटिज्म से पीड़ित है। 

ऑटिज्म[Autism] का अर्थ क्या है?

Autism meaning in Hindi: इसका अर्थ है कि यह विकार व्यक्तियों के बीच में विभिन्न तरीकों से प्रकट हो सकता है और उनके सामाजिक संवाद, सामाजिक संयोग, व्यवहार, रुचियाँ और अन्य कौशलों जैसे प्रतिसाद की क्षमता में कठिनाई हो सकती है। 

  • "स्पेक्ट्रम" शब्द इसके विभिन्नता को दर्शाता है, 
  • जैसे कि रंगों का आभास एक संविदान में एक से दूसरे रंग तक बदलता रहता है।
  • स्वलीनता (ऑटिज्म) जो व्यक्ति के कम्युनिकेशन, सामाजिक व्यवहार और संपर्क को प्रभावित करता है।
  • इससे प्रभावित व्यक्ति सीमित और दोहराव युक्त व्यवहार करता है। 
  • कुछ लोग ज्यादातर आत्मसात के प्रति ध्यान केंद्रित करते हैं, 
  • जबकि उन्हें दूसरों के अंदर की भावनाओं और भाषा को समझने में कठिनाई हो सकती है।

आटिज्म होने के मुख्य कारण क्या है? Autism cause / factor

डॉक्टर के अनुसार इस बीमारी का आज तक सटीक कारणों का पता नहीं चल पाया है लेकिन कई व्यावहारिक कारण है, जिस वजह से यह समस्या होती है। 

यहां कुछ सामान्य कारक हैं:-

आनुवंशिक कारण: आनुवंशिक अंशों का प्रभाव भी एक फैक्टर हो सकता है। 

परिवार में किसी भी अन्य सदस्य, पिता पक्ष या माता पक्ष में भी किसी को कभी हुआ होता है। 

ASD की संकेत मिलती है तो आपके बच्चे में होने का खतरा रहता है।

पर्यावरणिक कारण: गर्भावस्था के दौरान उत्पन्न बाधाएँ, जैसे कि मां की मातृभाषा में किसी भी प्रकार की कमी या विकार, वायरसी संक्रमण के चपेट में आना, या धूम्रपान आदि, ASD के प्रति पर्यावरण का प्रभाव डाल सकते हैं।

न्यूरोबायोलॉजिकल कारण: मस्तिष्क के विकास में असमर्थता भी एक कारण हो सकता है। 

कुछ अध्ययनों में पाया गहै कि ASD वाले व्यक्तियों के मस्तिष्क में सामान्य से अलग संरचना और कार्यप्रणाली हो सकती है। 

जैसे, इसके शिकार अल्बर्ट आइंस्टीन भी थे। इस बीमारी के कारण उन्हें बहुत परेशानी का सामना करना पड़ा था। 

सामाजिक-प्रासादिक फैक्टर: कुछ विशेष परिस्थितियों में, जैसे कि पर्यावरण में परिवर्तन, संवाद की कठिनाइयाँ आदि, यह भी किसी के ASD के विकास में योगदान कर सकता है। 

इसके मुख्य कारण है: Autism cause

  • इसमें बच्चों से माता-पिता का संवाद कम होना बच्चों का बहुत ज्यादा अकेले में रहना 
  • स्क्रीन टाइम यानी टीवी मोबाइल का अधिक प्रयोग करना 
  • दिमाग के विकास को नियंत्रित करने वाले जीन में कोई गड़बड़ी होना
  • गर्भावस्था में वायरल इनफेक्शन या हवा में फैले प्रदूषण काणों के संपर्क में आना
  • सेल्स और दिमाग के बीच संपर्क बनाने वाले जीन में गड़बड़ी होना
  • समय से पहले पैदा होना कम बर्थ वेट कम होना। 
  • उम्र दराज माता पिता के बच्चे या अबनॉरमल माता पिता के बच्चे 
  • जेनेटिक क्रोमोसोमल कंडीशन जैसे ट्यूबरस स्क्लेरोसिस या फ्रेंजाइल एक्स सिंड्रोम
  • प्रेग्नेंसी के दौरान सेवन की गई कुछ दवाइयों का साइड इफेक्ट।
  • इसके जागरूकता में 2 अप्रैल को ऑटिज्म डे(Autsm day) मनाया जाता है। 
  • भारत में ऑटिज्म से पीड़ित लोग का इलाज आगरा में संभव है ।
Autism Day Theme: इस बार 2023 विश्व ऑटिज्म जागरूकता दिवस की थीम " कथा को बदलना: घर पर, काम पर, कला में और नीति निर्माण में योगदान" रखा गया। 

ऑटिज्म[Autism] का अर्थ, कारण, लक्षण, निदान और उपचार in Hindi
ऑटिज्म[Autism] का अर्थ, कारण, लक्षण, निदान और उपचार in Hindi 

अप्रैल 1988 में, राष्ट्रपति रोनाल्ड रीगन ने पहली राष्ट्रपति उद्घोषणा जारी की जिसमें अप्रैल को राष्ट्रीय ऑटिज्म जागरूकता माह घोषित किया गया। 

CDC रिपोर्ट 2020 के अनुसार अमेरिका में हर 36 में से एक बच्चे को आटिज्म है।

ऑटिज्म की पहचान कैसे की जाती है ? Autism symptoms 

ऑटिज्म स्पेक्ट्रम डिसआर्डर (ASD) के लक्षण हर व्यक्ति में भिन्न-भिन्न हो सकते हैं। यहां कुछ सामान्य लक्षण बताया जा रहा है :-

असामान्य व्यवहार : ऐसे बच्चे या लोग हमेशा अलग व्यवहार करेंगे जो सामान्य बच्चों या लोगों में देखने को नहीं मिलता।

बोलते समय अटकना, हकलाना या रुक रुक कर बोलना ।
ऐसे व्यक्ति या बच्चे हमेशा आपसे असामान्य व्यवहार करता नजर आएगा।

सामाजिक संवाद की कठिनाइयाँ: व्यक्तियों में सामाजिक संवाद की कठिनाइयाँ हो सकती हैं, 

जैसे कि आत्मविश्वास की कमी, आंखों में देखने की कमी, भाषा के गैरवाणीक उपयोग, और अन्य लोगों के साथ सामाजिक रिश्तों की समझ में कठिनाइयाँ।

मोनोटोनिक व्यवहार:‌  व्यक्तियों में आवाज की मोनोटोनिकता, आंखों का संवाद में दृष्टि का नहीं बनाना और अन्य अपूर्ण सामाजिक भावनाओं की कमी हो सकती है।

प्रतिरोधकता के प्रति आत्म आत्मिकण: कुछ व्यक्तियों में नये या अच्छे संवाद के लिए प्रतिरोधकता हो सकती है, 

जैसे कि नए खिलौने, खाने की वस्तुएँ, या सामाजिक स्थितियों के लिए।

रिपीटिटिव और उदासीन आचरण: कई व्यक्तियों का आचरण रिपीटिटिव और उदासीन हो सकता है, 

जैसे कि समान कार्यों को बार-बार करना, आवाजों को दोहराना, और तारीकों को पकड़ना। 

विशिष्ट क्रियाएँ या कार्यक्रमों की पुनरावृत्ति, और रिपीटिटिव आचरण, 

जैसे कि बार-बार जांचना या सामान को एक विशिष्ट तरीके से व्यवस्थित करना, दिख सकते हैं।

सेंसिटिविटी: ध्वनियों, प्रकृति के आदर्शों, और भीड़-भाड़ में कमी के प्रति ऊची संवेदनशीलता हो सकती है।

संविदायकता और रिटुअल्स: कुछ व्यक्तियों को सिर्फ़ विशिष्ट संविदायकता के साथ काम करने का शौक हो सकता है और वे रिटुअल्स को महत्वपूर्ण मानते हैं।

सेंसरी आवेदन: स्पष्टि संवेदनशीलता या कमी, विशिष्ट ध्वनियों या रंगों के प्रति अत्यधिक प्रतिक्रिया, या छूने, चूसने, या देखने की संवेदनशीलता भी हो सकती है।

रुचियाँ और आचरण: अत्यधिक रुचियाँ या विशिष्ट विषयों में रूचि, सिर्फ़ एक विशिष्ट गतिविधि में व्यस्त रहने की प्रतिरूढ़ प्रवृत्ति या अन्य अनैतिक आचरण हो सकते हैं।

समय और स्थान की समझ :  समय और स्थान की समझ में कठिनाई हो सकता है। 

जैसे कि विशिष्ट कार्यों की समय-सारणी में असमर्थता या प्रबंधन की कमी। 

नये परिस्थितियों और बदलती चीजों के प्रति प्रतिरोध हो सकता है।

https://www.psychologyina.com/2023/08/Autism-ka-arth-karan-lakshan-nidaan-and-upchaar-in-hindi-new.html
Autism symptoms,cause, Treatment in Hindi   

ऑटिज्म शिशुओं के लक्षण जो प्रमुख है :

  • इक्का-दुक्का सब बोलना,एक ही बात बार-बार दोहराना या बड़बड़ाना 
  • किसी चीज की तरफ इशारा करना 
  • हाथों के बल चल कर दूसरों के पास जाना 
  • आई कांटेक्ट ना बनाना 
  • दूसरे बच्चों से घुलने मिलने से बचना 
  • बच्चे का बहुत ज्यादा अकेले रहना
  •  खेलकूद में हिस्सा ना लेना जरूरी ना दिखाना 
  • किसी एक जगह पर घंटे खड़े रहना 
  • एक ही काम को बार-बार करना, पुनरावृति आदतें
  • किसी एक ही वस्तु पर ध्यान टीका कर रखना 
  • दूसरों के संपर्क से बचना, सनकी व्यवहार करना 
  • खुद को चोट लगाना है या नुकसान पहुंचाने का प्रयास करना
  • गुस्सैल बदहवास बेचैन, समान तोड़फोड़ मचाने जैसा व्यवहार करना
  • अलग तरीके से बातें करना जैसे- प्यास लगने पर मुझे पानी पीना है कहने की वजाह क्या तुम पानी पिओगे कहना 
  • बातचीत करने के दौरान दूसरे के हर शब्द को दोहराना 
  • किसी एक काम के साथ पूरी व्यस्त रहना 
  • दूसरे व्यक्तियों की भावनाओं को ना समझना 
  • दूसरे की पसंद ना पसंद को ना समझना पुरानी स्किल को भूल जाना 
  • किसी विशेष प्रकार की गंध, आवाज के प्रति अजीब प्रतिक्रिया देना

ऑटिज्म का निदान|Test, Tools & Technique 

ASD का निदान एक मुश्किल प्रक्रिया हो सकता है, क्योंकि इसमें व्यक्ति के व्यक्तिगतता के आधार पर निर्णय लेना पड़ता है। 

एक व्यक्ति के व्यक्तिगत आवश्यकताओं, लक्षणों, और डॉक्टर की मूल्यांकन के आधार पर किया जाता है। 

जिसमें निम्न कदम उठाए जा सकते हैं :

लक्षणों की मूल्यांकन: डॉक्टर आपके बच्चे के लक्षणों की मूल्यांकन करेंगे, जैसे कि सामाजिक इंटरैक्शन, सामाजिक समायोजन, भाषा और संवाद, प्रेरणा और रिपीटिटिव व्यवहार।

व्यक्तिगत और पारिवारिक इतिहास: आपके बच्चे के व्यक्तिगत और पारिवारिक इतिहास की जांच करने के लिए डॉक्टर आपसे से बातचीत करेंगे। 

तीन पीढ़ियों तक की मेडिकल इतिहास इस बीमारी को संभव बना सकता है।

विकास और पूर्व संवाद :-डॉक्टर आपके बच्चे के विकास और पूर्व संवाद की जांच कर सकते हैं, 

जैसे कि उनकी पहली शब्दें कब आई थीं और सामाजिक इंटरैक्शन कैसे होता था।

स्क्रीनिंग टूल्स- कुछ स्क्रीनिंग टूल्स का उपयोग किया जा सकता है जो ASD के संदर्भ में लक्षणों की जांच करने में मदद करते हैं।

Diagnosis Test- कुछ मामलों में, डॉक्टर अन्य विशेषज्ञों की सलाह ले सकते हैं, जैसे कि विकासविज्ञानी, लोगोपेड या विशिष्ट डायग्नोस्टिक टेस्टिंग के लिए। 

बच्चों की सुनने और आंखों की क्षमता का किया जाता है ताकि ऑटिज्म की पुष्टि हो सके।

 सही डायग्नोसिस और उचित इलाज के लिए एक पेशेवर चिकित्सक, साइकोलॉजिस्ट से परामर्श करना महत्वपूर्ण है।

Autism Treatment इलाज व उपचार की योजनाएं 

  • ऑटिज्म स्पेक्ट्रम डिसआर्डर (ASD) का इलाज और उपचार व्यक्ति की आवश्यकताओं और लक्षणों पर निर्भर करता है।
  • यह याद रखना महत्वपूर्ण है कि प्रत्येक व्यक्ति दूसरे से अलग होता है। अद्वितीय होता है
  • और इलाज की योजना उनकी व्यक्तिगत आवश्यकताओं के आधार पर तैयार की जानी चाहिए। 
  • विशेषज्ञ बच्चे का निरीक्षण कर सकते हैं। बच्चे को एक संरचित परीक्षण दे सकता है 
  • माता-पिता या देखभाल करने वालों से प्रश्न पूछ सकता है। उनसे प्रश्नावली भरने के लिए कह सकता है। 
  • इस औपचारिक मूल्यांकन के परिणाम आपके बच्चे की शक्तियों और चुनौतियों को उजागर करते हैं 
  • और यह सूचित करते हैं कि क्या वह विकासात्मक निदान के मापदंडों को पूरा करते हैं। 

यह कुछ महत्वपूर्ण योजनाएं हो सकता है:-

व्यवहार चिकित्सा: बहुत सारे बच्चों और वयस्कों के लिए व्यवहार चिकित्सा (बीहेवियरल थेरेपी) कारगार साबित सकती है, 

जो उनकी सामाजिक कौशलों और सामाजिक इंटरैक्शन में मदद करती है।

दवाएँ: कुछ मामलों में, डॉक्टर दवाओं का सुझाव दे सकते हैं जो उत्तरदायी लक्षणों को कम करने में मदद कर सकती हैं, जैसे कि अत्यधिक उत्तेजना या आत्महिंसा की स्थितियाँ ।

सामाजिक और संवादात्मक थेरेपी: इसके माध्यम से व्यक्ति की सामाजिक कौशलों को सुधारा जा सकता है, 

जो उनकी सामाजिक इंटरैक्शन की गुणवत्ता को बेहतर बना सकता है। जिससे रोगी का जीवन बेहतर होगा ।

सहायता और समर्थन: ऑटिज्म व्यक्तियों के लिए समर्थन गुट, संगठन और सामुदायिक सेवाएँ उपलब्ध होती हैं जो उनके परिवारों को सहायता प्रदान कर सकते हैं।

संवादात्मक और भाषा थेरेपी: डिसक्म्यूनिकेशन (भाषा समझने और बोलने की कौशल) में मदद के लिए संवादात्मक और भाषा थेरेपी सुझाई जा सकती है।

सेंसरी इंटीग्रेशन थेरेपी: यह थेरेपी उन व्यक्तियों की मदद कर सकती है जिन्हें सेंसरी प्रिकोलीयरिटी (इंद्रिय प्रिकोलीयरिटी) होती है। जिससे वे अपने इंद्रिय स्तरों को सही तरीके से प्रोसेस कर सकें।

आहार: कुछ मामलों में, आहार की बदलाव भी लाभकारी हो सकती है। कुछ बच्चों के लिए खाद्य पदार्थों की विशेषताओं पर ध्यान देना महत्वपूर्ण हो सकता है।

टिप्स- ASD से पीड़ित लोगों को दही प्याज केला डाल का सेवन भरपूर करना चाहिए यह ऑटिज्म में लाभकारी है।

विशेष रूप से विकसित क्षेत्रों का परिवर्तन: ऑटिज्म वाले व्यक्तियों के पास कई विशेष रूप से विकसित क्षेत्र हो सकते हैं। इन क्षेत्रों को पहचानकर और उन्हें बढ़ावा देने की कोशिश करना महत्वपूर्ण है।

Psychologist Role for Autism 

ऑटिज्म स्पेक्ट्रम डिसआर्डर (ASD) में साइकोलॉजिस्ट की भूमिका महत्वपूर्ण होती है। जब आप ASD के संबंधित मुद्दों का सामना कर रहे हों। 

वे व्यक्तियों की मानसिक स्थिति, व्यवहार और सामाजिक समझ को समझने में मदद कर सकते हैं और उनके परिवारों को सहायता प्रदान कर सकते हैं

साइकोलॉजिस्ट निम्नलिखित कार्यों को कर सकते हैं:

नैरोप्सायकोलॉजिकल अस्सेसमेंट: साइकोलॉजिस्ट डिसआर्डर के व्यक्तियों की मानसिक प्रक्रियाओं, व्यवहार और सामाजिक इंटरैक्शन की मूल्यांकन कर सकते हैं।

व्यक्तिगत और परिवारिक सलाह: साइकोलॉजिस्ट व्यक्तिगत और परिवारिक समस्याओं को समझने में मदद कर सकते हैं और सहायता प्रदान कर सकते हैं, जैसे कि डीलिंग विकलांगता से और परिवार सहयोग से।

सामाजिक समझ और कौशल विकास: साइकोलॉजिस्ट व्यक्तियों को सामाजिक कौशलों में सुधारने में मदद कर सकते हैं जो ASD के व्यक्तियों के लिए मुश्किल हो सकते हैं।

बिहेवियर थेरेपी: साइकोलॉजिस्ट व्यक्तियों के व्यवहार को समझने में मदद कर सकते हैं और व्यवहार थेरेपी की प्रक्रिया में सहायक हो सकते हैं।

व्यक्तिगत और समृद्धि केंद्रित योजनाएँ: साइकोलॉजिस्ट व्यक्तियों के लिए व्यक्तिगत और समृद्धि केंद्रित योजनाएँ तैयार करने में मदद कर सकते हैं।

जो उनके सामाजिक और पेशेवर लक्ष्यों की प्राप्ति में मदद कर सकती हैं।

अन्य थेरेपी:- स्पीच थेरेपी ऑक्यूपेशनल थेरेपी का यही उद्देश्य है कि बच्चों से उसकी भाषा में बात की जाए और उसके दिमाग को पूरी तरह से जागृत किया जाए।

विशेष शिक्षा समर्थन: साइकोलॉजिस्ट बच्चों के लिए विशेष शिक्षा योजनाओं का डिज़ाइन करने में मदद कर सकते हैं, जो उनकी शिक्षा की आवश्यकताओं को पूरा करते हैं।

बच्चों के लिए विशेष शिक्षा कार्यक्रम तैयार किए जा सकते हैं जिनमें उनकी आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए पढ़ाई और सामाजिक कौशलों की तरकीबें शामिल हो सकती हैं।

समस्या समाधान: अगर किसी बच्चे या वयस्क के पास किसी विशेष समस्या का सामना हो जैसे कि आत्महिंसा या अत्यधिक उत्तेजना, 

तो साइकोलॉजिस्ट उनके साथ काम करके समस्या का समाधान खोजने में मदद कर सकते हैं।

बाल पसंदी और पैरेंटिंग समर्थन: वे बच्चों के पारिवारिक मामलों में मदद कर सकते हैं, जैसे कि बच्चे की बाल पसंदियों को समझने में और उनके देखभाल में।

कौशल विकास: साइकोलॉजिस्ट व्यक्तियों के कौशल और रूचियों को समझने में मदद करके, 

उन्हें अपनी समृद्धि के क्षेत्र में मार्गदर्शन कर सकते हैं। उन्हें लक्ष्य तक पहुंचने में मदद कर सकते हैं।

समझदारी और जागरूकता: साइकोलॉजिस्ट आमतौर पर परिवारों को इस बारे में शिक्षित करते हैं 

कि कैसे वे ASD के साथ रहने वाले व्यक्तियों के साथ सही तरीके से समझ सकते हैं 

और सहायता प्रदान कर सकते हैं। ताकि वे अपनी मानसिक स्वास्थ्य और सामाजिक संबंधों को सुधार सकें।

ऑटिज्म संबंधित विशेष । parents role for Autism Child 

Autism में लाइफ स्टाइल :-ऑटिज़्म स्पेक्ट्रम वाले लोगों के लिए, दुनिया एक चकित करने वाली जगह है। 

अति संवेदनशील संवेदी प्रणालियों के साथ, वे अपने मस्तिष्क में बहने वाली सूचना के भँवर को संसाधित करने के लिए संघर्ष करते हैं।

अक्सर इसका परिणाम संवेदी अधिभार होता है, जिससे नखरे, चिंता और सामाजिक अलगाव जैसे विशिष्ट व्यवहार होते हैं।

 ऐसे माता पिता को रोजमर्रा की जीवनशैली में आपके बच्चे के लिए संरचित और स्थिर दिनचर्या तैयार करना महत्वपूर्ण है।

 सामाजिक, शैक्षिक और स्वास्थ्य संबंधित गतिविधियों को समाहित तरीके से प्रबंधित करने में मदद मिल सकती है।

ऑटिज्म संबंधित विशेष । parents role for Autism Child 

  1. बच्चों के साथ धीरे-धीरे और साथ में बात करें, ऐसे शब्दों का प्रयोग करें जो आसानी से समझ सके
  2. बच्चों को आपकी बात समझ आया, नहीं आया फिर उसका जवाब देने के लिए पर्याप्त समय लेने दे 
  3. बातचीत के दौरान हाथों से इशारा करें और तस्वीरों की मदद भी दे सकते हैं 
  4. बच्चों से बातचीत करते समय बार-बार बच्चे का नाम दोहराए ताकि बच्चा यह समझ सके कि आप उसी से बात कर रहे हैं
  5. खाना खाने के लिए सिखाएं ऐसे बच्चे खाने पीने से आनाकानी करते हैं 
  6. किसी विशेष रंग या प्रकार का ही भोजन करते हैं या बहुत अधिक है बहुत कम मात्रा में खाते हैं।डाइट प्रोटीन का ज्ञान दें।
  7. बच्चे का कमरा शांत अंधेरे से भरा हुआ सोने और जागने का समय निश्चित करें । पर्याप्त नींद लें 7-9 घंटे।
  8. बच्चों को एयर प्लग्स दें। 
  9. हर बार डायरी में उन बातों या घटनाओं के बारे में लिखिए 
  10. जिससे के बाद बच्चे ने रोना शुरू किया हो या उन्हें तकलीफ हुआ हो। उन पर विशेष ध्यान देने की जरूरत होती है।

निष्कर्ष 

ध्यान देने योग्य बातें यह हैं कि ऑटिज्म को दवा से ठीक नहीं किया जा सकता है। 

ऑटिस्टिक लोग विशेष रूप से प्रोफेशनल और थेरेपी की मदद से अभी भी पूरी तरह से स्वतंत्र सार्थक स्वस्थ और उत्पादक जीवन जी सकते हैं।

हालांकि उम्र बढ़ाने के साथ और ऑटिज्म के लक्षण और समस्या कम होने लगते हैं। 

इसलिए Autistic disorder  बच्चों के माता-पिता को बच्चों की बदलती जरूरत के साथ ताल-मेल बिठाने के लिए तैयार रहना चाहिए।

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