बालको की मानसिक अस्वस्थता के कारण क्या है? or Causes of children's mental ill health : गेम्स और टेक्नोलॉजी की दुनिया में बच्चे दिन प्रतिदिन इसकी लत addiction में समय और जिंदगी बर्बाद कर रहे हैं। अपनी लक्ष्य से भटक रहे हैं। वास्तविक रिश्ते और वास्तविक दुनिया से दूर हो रहे हैं। इस मानसिक अस्थिरता का क्या कारण है? बच्चों की मानसिक स्थिति क्यों बिगड़ रही है आइए इस लेख में इसी पर विस्तार से जानते हैं
Causes of Children's Mental Ill Health |
मानसिक अस्थिरता : जब व्यक्ति अपनी आवश्यकताओं एवं इच्छाओं तथा वातावरण के उन कारकों, जिससे उन इच्छाओं एवं आवश्यकताओं की सही ढंग से संतुष्टि होती है के बीच एक संतुलन बनाए रखता है।
जब किन्हीं कारणों से यह संतुलन बिगड़ जाता है तो इससे उनके व्यक्तित्व में असामान्यता उत्पन्न होने की संभावना बढ़ जाती है। सामाजिक सहयोग की कमी पर्यावरणीय तनाव जेनेटिक कारण या मनोवैज्ञानिक आघात सहित कारकों का समायोजन शामिल होना आदि मानसिक अस्वस्थता के जोखिम को बढ़ा देता है।
मानसिक अस्वस्थता के 9 प्रमुख कारण :
- ऐसा देखा गया है कि कुछ माता-पिता अपने बच्चों को जरूर से ज्यादा दुलार प्यार एवं सुरक्षा प्रदान करते हैं
- ऐसे बालकों में आप निर्भरता की भावना नहीं विकसित होती है और वह हमेशा दूसरों पर निर्भर करते हैं
- और साथ ही साथ उनमें असुरक्षा की भावना भी तीव्र हो जाती है।
- इससे उनका मानसिक के स्वास्थ्य धीरे-धीरे घटने लगता है ।
- दूसरी तरफ, कुछ माता-पिता अपने बच्चों को अक्सर फटकार, तिरस्कार
- एवं अन्य उनके बराबर की दूसरे बच्चों की तुलना में नीचा दिखाते रहते हैं
- इसमें बालकों में हीनता का भाव(feeling of inferiority) विकसित होता है
- जो उनके मानसिक स्वास्थ्य को धीरे-धीरे खोखला कर देता है।
माता-पिता द्वारा बालकों में विभेदात्मक बर्ताव :-
- ऐसा देखा गया है कि कुछ माता-पिता ऐसे होते हैं जो अपने कुछ बच्चों को अधिक प्यार करते हैं
- तथा कुछ बच्चों को हमेशा फटकारते रहते हैं तथा उन्हें नीचा दिखाते रहते हैं
- इस तरह विभेदात्मक बर्ताव का प्रभाव बालकों के मानसिक स्वास्थ्य पर अच्छा नहीं पड़ता है।
- वो तो बड़ा है वह कर सकता है, तुम छोटे हो तुम्हें नहीं करना चाहिए
- तुम्हें नहीं आता है तुम्हें समझ नहीं है,
- वो बड़ा है उसे हर चीज करने की आजादी है उसे समझ है तुम बच्चे हो ऐसा मत करो आदि कई तरह की बातें हो सकती है।
- ऐसे दोनों तरह के बालकों को की मनोवैज्ञानिक भावना अच्छी नहीं होती है
- और उनका मानसिक स्वास्थ खराब होने लगता है।
शिक्षक द्वारा अत्यधिक सख्ती एवं अनुशासनपालिता पर बल :-
- शिक्षक का व्यवहार:-स्कूल में मां शिक्षक का वही स्थान होता है जो माता-पिता का घर में होता है
- अध्ययन में पाया गया है कि यदि स्कूल में बालकों के प्रति शिक्षक का व्यवहार अच्छा नहीं होता
- अर्थात शिक्षक छात्रों को हमेशा मारते-पीटते हैं, उन्हें धमकाते हैं, पनिशमेंट देते हैं
- तथा साथ ही साथ जहां प्रशंसा की जानी चाहिए थी, वहां उनकी निंदा की जाती है
- तो इससे छात्रों में तरह-तरह की नकारात्मक भावनाएं जैसे असुरक्षा की भावना, अत्यधिक चिंता, हीनता की भावना आदि उत्पन्न हो जाती है
- जो उनके मानसिक स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव डालते हैं।
- जब स्कूल के शिक्षक ऐसे हैं जो छात्रों के साथ अत्यधिक सख्ती से पेश आते हैं
- और जो पढ़ाई पर कम एवं अनुशासनपालिता पर अत्यधिक बल डालते हैं
- तो इससे बालकों के मानसिक विकास पर तो बुरा असर पड़ता ही है
- साथ ही साथ उनका मानसिक स्वास्थ भी गिरने लगता है।
माता-पिता के व्यक्तित्व शीलगुणों का प्रभाव:-
- कुछ माता-पिता ऐसे होते हैं जिनके स्वयं मानसिक स्वास्थ्य अच्छा नहीं होता
- वे स्वभाव से चिड़चिड़ा एवं संवेग के रूप से अस्थिर होते हैं
- उनमें संवेगिक उतार-चढ़ाव इतना अधिक होता है कि कभी तो भी अपने बच्चों को किसी व्यवहार के लिए अत्यधिक दुलार प्यार देते हैं
- और कभी भी उन्हें उसी व्यवहार के लिए काफी फटकारते हैं
- इससे बालकों में मानसिक स्थिरता आती है और उनका मानसिक स्वास्थ्य बिगड़ने लगता है।
- ग़रीबी:-मानसिक स्वास्थ्य पर बालक के परिवार की गरीबी काफी प्रभाव पड़ता है
- जो बालक गरीब परिवार से आते हैं उनके सामने अत्यधिक समस्याएं होती है
- और उनकी मूल शैक्षणिक आवश्यकता है जैसे किताब कलम कागज की आवश्यकता तक पूरी नहीं हो पाती है।
- मेघावी प्रतिभाशाली होते हुए भी आवश्यकताओं की कमी की वजह से पीछे जाते हैं।
मानसिक अस्वस्थता के प्रमुख 9 कारण |
अच्छे पाठ्यक्रम का अभाव :-
- अक्सर देखा गया है कि शिक्षकगण छात्रों के बौद्धिक स्तर अभिक्षमता एवं अभिरुचि का बिना ख्याल किया ही पाठ्यक्रम तैयार कर लेते हैं
- और उसे पढ़ने के लिए विवश करते हैं इससे छात्रों में मानसिक तनाव एवं मानसिक उलझन बढ़ता है
- और वह धीरे-धीरे मानसिक रूप से अस्वस्थ होते चले जाते हैं।
- इस ढंग की स्थिति आने पर बालकों में स्कूल न जाने की प्रवृत्ति
- एवं घर की से स्कूल के लिए निकलने परंतु कहीं और चले जाने की प्रवृत्ति तीव्र हो जाती है, स्कूल बंग करने लगते हैं।
- तथा इधर-उधर की क्रियाओं में उलझ जाते हैं
- जो अनैतिक एवं अवांछनीय भी हो सकती है
- जिससे उनके मानसिक स्वास्थ्य पर काफी प्रभाव पड़ता है।
प्रतियोगिता का अभाव:-
अक्सर इस तरह की प्रतियोगिता एवं प्रतिद्वंदी का प्रभाव यह होता है कि बालकों में ईर्ष्या, डाह आदि का भाव उत्पन्न होने लगता है ।
इतना ही नहीं जो बालक प्रतियोगिता में सफल नहीं हो पाए
उनकी मानसिक दशा काफी दयनीय इस अर्थ में हो जाती है कि वह अपने आप को तुच्छ एवं हीन समझने लगते हैं।
अपनी योग्यता एवं क्षमता पर उन्हें शक होने लगता है।
परिणाम यह होता है कि उनका मानसिक स्वास्थ्य धीरे-धीरे बिगड़ने लगता है।
अध्यापन विधि :-
- बालकों के मानसिक स्वास्थ्य पर अध्यापन विधि का भी प्रभाव पड़ता है
- कुछ शिक्षक तो ऐसे होते हैं जिनका पढ़ाई का ढंग रोचक होता है
- तथा छात्र उनमें अपने आप को खोया हुआ महसूस करता है
- ऐसी विधि होने से छात्रों की मानसिकता मजबूत होती है और वह मानसिक रूप से स्वस्थ रहते हैं
- परंतु कुछ शिक्षा कैसे होते हैं जिनकी पढ़ाई का ढंग और अरोचक होता है
- तथा छात्र तुरंत ही ऊब का अनुभव करने लगते हैं।
- अध्यापन की यह दूसरी विधि मानसिक स्वास्थ्य के ख्याल से उत्तम नहीं मानी जाती क्योंकि इससे छात्रों में अन्यमनस्कता(absentmindedness) में वृद्धि होती है
- जो उन्हें धीरे-धीरे मानसिक अस्वस्थता की खाई में धकेल देता है।
सगे संबंधियों का प्रभाव :-
निष्कर्ष
- शिक्षकों को इन कारकों की जानकारी से विशेष फायदा यह होगा कि
- वह कम से काम उन कारकों में सुधार ला सकेंगे जो शिक्षक एवं स्कूल से संबंधित है
- तथा जिनके कारण बालकों में मानसिक अस्वच्छता उत्पन्न हो जाती है।