Menstrual Leave: मासिक धर्म अवकाश से संबंधित।Period leave in India: Act, application महिलाओं का अधिकार।पीरियड्स क्या होता है? In Hindi. रजोधर्म

Menstrual leave or period leave kya hai in Hindi : मासिक धर्म अवकाश या अवधि अवकाश उन सभी नीतियों को संदर्भित करता है जो कर्मचारियों या छात्रों को मासिक धर्म में दर्द या परेशानी का अनुभव होने पर छुट्टी लेने की अनुमति देती हैं। 

पीरियड लीव क्या है | महिलाओं को पीरियड कब कैसे क्यों होता है ?
Period leave kya hai in Hindi New 

महिलाओं का हक है पीरियड लीव- 2016 में लंदन के यूनिवर्सिटी कॉलेज में प्रजनन स्वास्थ्य के प्रोफेसर जॉन गिलबॉड ने बताया था कि पीरियड के दौरान कई औरतों को उतनी ही तकलीफ होती है जितनी एक हार्ट अटैक के दौरान होती है। 

ऐसी स्थिति में महिलाओं को पीरियड्स लीव मिलनी चाहिए या नहीं? इससे कामकाजी नौकरी पेशा करने वाली महिलाओं के वर्क पर क्या असर पड़ेगा। यह बहुत ही विवादित विषय बना हुआ है। सुप्रीम कोर्ट ने इस पर क्या कहा इसके बारे में पूरी जानकारी जानने से पहले आइए जानते हैं पीरियड क्या है? कब और क्यों होता है?

पीरियड्स क्या है मासिक धर्म किसे कहते हैं?

Period kya hai in Hindi : महिलाओं के शरीर से निकलने वाली लाल रक्त को पीरियड्स कहते हैं। यह एक महिला के जीवन का महत्वपूर्ण प्राकृतिक जैविक प्रक्रिया है। जो हर महीने अपने साइकल चक्र में 4-5 दिन के लिए बॉडी से बाहर आते हैं। इसे मासिक चक्र या एमसी(MC) के नाम से भी जाना जाता है। 

  • इसकी शुरुआत 9 वर्ष या इसके बाद बढ़ती उम्र के साथ होती है।
  • इस प्रक्रिया के पीछे बायोलॉजिकल कारण, हॉर्मोन्स का महत्वपूर्ण भूमिका होता है।
  • महिलाओं के शरीर में हॉर्मोन्स, विशेष रूप से एस्ट्रोजन और प्रोजेस्ट्रोन, मासिक चक्र के विभिन्न चरणों में परिवर्तित होते रहते हैं।
  • आसान भाषा में इसे ऐसे समझें कि बॉडी को प्यूरीफाइंग के लिए यह आवश्यक है।
  • पीरियड्स के दौरान महिलाओं को कई तरह की समस्याओं से गुजरना पड़ता है 
  • कमर, पेट, पैर, बॉडी में ऐठन और ब्लीडिंग आदि आम लक्षण देखने को मिलते हैं।
  • पीरियड्स, जिसे माहवारी भी कहा जाता है, एक महिला के जीवन का महत्वपूर्ण हिस्सा है।

यह एक प्राकृतिक प्रक्रिया है जिसके दौरान महिला के गर्भनल में लाइनिंग बढ़ने और बिगड़ने की प्रक्रिया होती है।

महिलाओं को पीरियड क्यों आता है ?

मासिक धर्म के नियम: इस बायोलॉजिकल प्रक्रिया का उद्देश्य महिलाओं के शरीर को गर्भधारण के लिए तैयार रखना है, जो उनके प्रजनन प्रणाली का महत्वपूर्ण हिस्सा है 

लड़कियों के शरीर में पीरियड की शुरुआत होने का मतलब है कि उनका शरीर अपने आप को संभावित गर्भावस्था मतलब प्रेगनेंसी के लिए तैयार करता है

पीरियड्स के होने की उम्र महिलाओं के बढ़ते आयु के साथ बदलती है, लेकिन आमतौर पर मेनार्क (पहली माहवारी) की आवश्यकता गर्भनल और जिगर शरीर की लाइनिंग की तैयारी के साथ होती है।Read more: PMS

मासिक धर्म कैलकुलेटर , उम्र , नियम: यह आमतौर पर बच्ची या किशोर की आयु के बीच 8-9 से 16 वर्ष के बीच होती है। 

अगला पीरियड कब आएगा यह होगा अगर इसकी गणना करें तो उदाहरण के लिए यदि आपको 5 जून को मासिक धर्म आया और अगली बार पीरियड 2 जुलाई को आया तो उस महीने आपके मेंस्ट्रूअल साइकल की अवधि 27 दिन मानी जाएगी।

अपनी पीरियड के फर्स्ट डे से गिनती शुरू कर आपके अगले पीरियड से 1 दिन पहले का दिन आपके मासिक धर्म का आखिरी दिन होता है। 

अधिकांश लोगों को यह हर महीने नियमित रूप से आता है। तो किसी को कुछ दिन पहले या बाद हो सकता है। 

यह महीने में एक बार अपने साइकल के अनुसार आएगी। यही इसका नियम होता है। इसे रजोधर्म भी कहते हैं। 

पीरियड्स के होने के पीछे क्या कारण होते हैं

पीरियड आने के संकेत- अधिकांश महिलाओं को पीरियड फ्लो से पहले क्रैम्पस (दर्द और मरोड़) की समस्या होती ही हैं। 

ऐंठन और कमर (पैल्विक) दर्द को आमतौर पर मेंस्ट्रुअल साइकल की शुरुआत का संकेत माना जाता है।  

महिलाओं में पीरियड के दौरान क्रैम्पस महसूस न होने का ये कारण हो सकते हैं-

  1. कुछ महिलाओं में प्रेगनेंसी के कारण पीरियड्स बिना क्रैंपस के महसूस हो सकते हैं । प्रेगनेंसी में क्रैम्पस तब महसूस होते हैं जब अंडा गर्भाशय की दीवार में खुद को इम्प्लांटर करता है
  2. ओवुलेशन पीरियड्स के आगे बढ़ने पर भी महिलाओं में पीरियड्स से पहले क्रैम्पस या दर्द और ऐंठन महसूस नहीं होता।मो
  3. नोपॉज के नज़दीकी समय में भी महिलाओं को उनके मासिक धर्म की तारीख के आसपास क्रैम्पस महसूस नहीं होता हैं।
  4. अनियमित पीरियड्स की समस्या में भी बिना क्रैम्पस के पीरियड्स आ सकते हैं।

दरअसल बिना क्रैम्पस के पीरियड आना सामान्य माना जाता है लेकिन अगर किसी महिला में यह समस्या बार-बार बनी रहती है तो ऐसे में डॉक्टर की सलाह जरूरी है।

पीरियड्स के होने के पीछे कुछ मुख्य कारण होते हैं:

  • हार्मोन्स: हार्मोन्स, विशेष रूप से अवडा, और प्रोजेस्टेरोन का स्तर महिलाओं के पीरियड्स को नियंत्रित करते हैं। 
  • एक स्थिति में गर्भधारण नहीं होने पर, हार्मोन्स बढ़ जाती है जिससे गर्भनल की लाइनिंग का निष्कासण होता है।
  • बाड़ी वेट: महिलाओं के बॉडी वेट और आहार का प्रभाव पीरियड्स पर पड़ता है। 
  • ज्यादा बॉडी बेट वाली को पहले और कम वेट वाले को बाद में आता है।
  • बहुत कम या बहुत अधिक बॉडी वेट और आहार की कमी का असर पीरियड्स के समय पर हो सकता है।
  • गर्भधारण: जब गर्भधारण होता है, तो महिला के पीरियड्स ठप्प हो जाते हैं, 
  • क्योंकि इस समय गर्भनल की लाइनिंग का निष्कासण नहीं होता है।
  • मेडिकल स्थितियाँ: कुछ मेडिकल स्थितियाँ, जैसे कि पॉलिस्टिक ओवरियन सिंड्रोम (PCOS) और तंत्रिका कुष्ठ, पीरियड्स को प्रभावित कर सकती हैं
पीरियड्स का प्राकृतिक होना महिलाओं के शारीरिक स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण होता है और इनकी आवश्यकता उम्र के साथ आती है।

Period पीरियड आने के लक्षण क्या होता हैं 

पीरियड में कैसा महसूस होता है: पीरियड्स के दौरान महिलाओं को भिन्न-भिन्न तरीकों से महसूस होता है, और यह हर महिला भिन्न हो सकता है। 
  • कुछ महिलाएं पीरियड्स के समय ऐंठन, कोमर में दर्द (पीरियडिक पेन) महसूस करती हैं, 
  • जबकि दूसरों को इस प्रकार की तकलीफ नहीं होती है
  • वहीं प्रोस्टाग्लैंडिन, लिपिड हार्मोन जैसा योगिक है, जो गर्भाशय की मांसपेशियों को अनुबंधित करने 
  • और उसे प्रेग्नेंसी के लिए तैयार करने का कारण बनता है
  • और जब फर्टिलाइजेशन नहीं हो पाता है, तो ये टूटता है
  • जिसके परिणाम स्वरूप मासिक धर्म के दौरान ऐंठन होती है।
  • लेकिन कई बार कुछ महिलाओं में बिना क्रैम्पस के ही पीरियड्स आ जाते है। 
  • पीरियड्स के क्रैम्पस आना एक पीरियड्स के शुरुआती लक्षण है और यह समस्या कई वजहों से होती है।
कुछ आम लक्षण हो सकते हैं-पीरियड्स के क्रैम्पस आना एक पीरियड्स के शुरुआती लक्षण है और यह समस्या कई वजहों से होती है।

कमर में दर्द: पीरियड्स के पहले या पीछे कुछ दिनों तक कमर में दर्द हो सकता है, जिसे पीरियडिक पेन कहते हैं।

मूड स्विंग्स: हॉर्मोनल परिवर्तन के कारण, कुछ महिलाएं पीरियड्स के समय मूड स्विंग्स महसूस कर सकती हैं, जैसे कि खुशी, उदासी, या गुस्सा।

थकान और थकावट: पीरियड्स के दौरान थकान और थकावट का अहसास हो सकता है।

सिरदर्द: कुछ महिलाएं पीरियड्स के समय सिरदर्द महसूस कर सकती हैं।

ब्रेस्ट टेंडरनेस: मम्मों की स्थिति में बदलाव के कारण, कुछ महिलाएं अपने स्तनों में टेंडरनेस या दर्द को महसूस कर सकती हैं।

पेट की सूजन: कुछ महिलाएं पीरियड्स के समय पेट की सूजन या विशेष तरीके से पेट में वजन महसूस कर सकती हैं।

मल परिस्राव: पीरियड्स के दौरान रक्त से मिलकर बने मल का अपना खास आकार होता है, जिसके साथ मल परिस्राव होता है।

यह सभी लक्षण महिलाओं भिन्न-भिन्न हो सकते हैं और किसी के लिए अधिक या कम इंटेंस हो सकते हैं
अगर कोई महिला पीरियड्स के समय बहुत अधिक दर्द या असामान्य लक्षणों का सामना कर रही है, 
यदि किसी महिला को उनके पीरियड्स के साथ संबंधित किसी असामान्य समस्या का संकेत होता है, तो उन्हें विशेषज्ञ , चिकित्सक से परामर्श लेना चाहिए।

सवाल ये है कि क्या कामकाजी महिलाओं के लिए दर्द से भरे ये दिन गुजारना कितना कष्टदायक होता है क्या ऐसे में सरकार को कोई कदम उठाना चाहिए। जिससे कि महिलाओं को इन दिनों इन कष्ट के दिनों में थोड़ी राहत मिले।

Menstrual Leave : supreme court ki sunvaee| मासिक धर्म अवकाश से संबंधित 

क्या है मेंस्ट्रूअल पेन लीव का कॉन्सेप्ट : बीते समय में संसद में मासिक धर्म अवकाश और मासिक धर्म स्वास्थ्य उत्पादक विधेयक पेश किए गए। महिलाओं को प्रेगनेंसी के वक्त तो वैतनिक अवकाश मिलता है लेकिन पीरियड्स को लेकर इस तरह का कोई नियम नहीं है। क्यों ? जबकि यह महिलाओं के शरीर और मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ा एक अहम विषय है।

 भारत में मौजूदा श्रम कानून मासिक धर्म के कारण पैड या अनपैड अवकाश की स्पष्ट रूप से परिकल्पना या प्रावधान नहीं करते हैं, और भारतीय नियोक्ताओं के लिए इसकी कोई कानूनी आवश्यकता भी नहीं है। 
Menstrual leave: मासिक धर्म अवकाश पीरियड लीव क्या है | महिलाओं को पीरियड कब कैसे क्यों होता है ?
Menstrual Leave : supreme court ki sunvaee| मासिक धर्म अवकाश से संबंधित 

सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई महामारी के दो दिन भारी-
  • नौकरीपेशा महिलाओं और छात्राओं को पीरियड्स के दौरान लीव देने की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई थी
  • जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई से इनकार कर दिया।
  • यह सुनवाई पीरियड लीव की उम्मीद कर रही महिलाओं को एक झटका के समान रहा
  • हर महीने मासिक धर्म से जुड़ी तकलीफों के लिए छुट्टी देने का प्रावधान बनाने पर सुनवाई से सुप्रीम कोर्ट ने इनकार करते हुए कहा कि 
  • मासिक धर्म में दर्द से राहत के लिए अवकाश को लेकर विधेयक इच्छा शक्ति की कमी है
  • यह एक नीतिगत मसाला है। इसके लिए महिला और बाल विकास मंत्रालय को ज्ञापन दिया जाना चाहिए।
  • ऐसे में याचिकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट से मांग की है कि वह मेंस्ट्रूअल पेन लीव दिए जाने को लेकर नियम बनाने के लिए केंद्र और राज्य सरकारों को निर्देश दें।
  • यह याचिका दिल्ली निवासी शैलेंद्र मणि त्रिपाठी की ओर से वकील विशाल तिवारी के माध्यम से दायर की गई थी। 
वकील ने कहा कि बिहार समेत कुछ राज्यों ने महीने में 2 दिन छुट्टी का प्रावधान बनाया है तो यह हर राज्यों को ऐसे नियम बनाने का निर्देश दिया जाए या फिर केंद्रीय स्तर पर इसके लिए कानून पारित हो। 
याचिकाकर्ता के मुताबिक अन्य राज्यों में मेंस्ट्रूअल पेन लीव ना देना संविधान के आर्टिकल 14 के तहत सामानता के अधिकार का उल्लंघन है।

Menstrual leave Act in India in Hindi

इस याचिका में मेटरनिटी बेनिफिट एक्ट के क्षेत्र 14 को तुरंत लागू करने की भी मांग की गई। इसके तहत इंस्पेक्टर्स नियुक्त किए जाते हैं जो इस एक्ट के प्रावधानों को लागू करवाते हैं।
  • आपको बता दें कि बिहार और केरला ऐसा राज्य है 
  • जो 1992 की एक पॉलिसी के तहत स्पेशल मेंस्ट्रूअल पेन लीव देता है
  • बिहार में लालू प्रसाद यादव ने 1992 से ही पीरियड लीव लागू कर दिया था
  • उसके लिए उन्होंने 32 दिन तक हड़ताल की थी जिसके बाद उन्हें यह हक मिला था।
  • 1922 में सोवियत संघ में इसके लिए नेशनल पॉलिसी बनाई थी 
  • और तभी से कुछ सेक्टर में पीरियड लीव दिए जाने लगी थी।
  • इसके बाद कई देशों में महिलाओं का दर्द समझते हुए छुट्टी देने का प्रावधान किया-
  • आस्ट्रेलिया चीन रूस ताइवान इंग्लैंड दक्षिण कोरिया जैसे देश महामारी के लिए छुट्टी दे रहे हैं।
  • ऐसे में भारत को भी एक प्रगतिशील नजर अपनाते हुए इसी नियम को हर राज्यों में लागू करना चाहिए।
  • हाल ही में केरल सरकार में उच्च शिक्षा विभाग के तहत आने वाले राज्य के सभी विश्वविद्यालय की छात्राओं को पीरियड का एलान किया था। इसके पहले कोचिन साइंस एंड टेक्नोलॉजी यूनिवर्सिटी में भी पीरियड दिए जाने की घोषणा की थी।
  • महिलाओं को मासिक धर्म अवकाश का अधिकार और मासिक धर्म संबंधी स्वस्थ उत्पादों तथा मुक्त पहुंच विधेयक, 2022 प्रस्तावित विधेयक 
  • मासिक धर्म की अवधि के दौरान महिलाओं और ट्रांस महिलाओं के लिए तीन दिनों के सवैतनिक अवकाश का प्रावधान करता है 
  • और इसे छात्राओं के लिए भी लाभकारी बनाने का प्रयास करता है। लेकिन उन पर मोहर लगाना अभी बाकी है 
  • उदाहरण के लिए मासिक धर्म लाभ विधेयक 2017 और महिला यौन प्रजनन एवं मासिक धर्म अधिकार विधेयक 2018
दुनिया भर में मासिक धर्म की छुट्टी वर्तमान में केवल जापान, ताइवान, इंडोनेशिया, दक्षिण, कोरिया और जांबिया सहित कुछ ही देश में दी जाती है।
  • जहां तक प्राइवेट संस्थानों की बात करें तो थे ड्वाइट, स्विगी और जोमैटो जैसी कई कंपनियां अपने महिलाओं कर्मचारियों को पीरियड लीव देती है।
  • फिर सरकारी कामकाजी महिलाओं को इसका अधिकार क्यों नहीं।
  • कुछ कंपनियां स्वैच्छिक रूप से एक या दो दिन की छुट्टी देती है 
  • तो वही देश के कुछ राज्यों में भी पीरियड के दौरान महिलाओं को 2 दिन की पेट लीव मिलती है ।
लेकिन इसे लेकर कोई एक देशव्यापी नियम नहीं है जो सभी राज्यों और कंपनियों पर समान रूप से लागू होता हो। 

पीरियड लीव महिलाओं की अधिकार, विशेष सुविधा या उन दिनों की जरूरत

महिलाओं का अधिकार, पीरियड लीव की मांग जायज और जरूरी क्यों - मनोचिकित्सा मनीला कहती है की पीरियड्स के दौरान एक महिला कई तरह की मानसिक परेशानियों से गुजरती है। 
  • पीरियड लीव वक्त की जरूरत है यह वक्त महिलाओं के लिए किसी महामारी से कम नहीं होता
  • यही वजह है कि कई सारी विशेषताओं का मानना है कि पीरियड लीव जरूरी होता है 
  • उनके स्वास्थ्य आवश्यकताओं को स्वीकार और मान्य करता है
  1. 2021 के सर्वे में 700 महिलाएं शामिल हुई थी। इसमें 83% महिलाओं का कहना है कि इसका कम पर बुरा असर पड़ता है 
  2. तथा सहकर्मियों के असहयोग का अभाव उनकी नौकरी छोड़ने की संभावना को बढ़ा देता है।
  3. एक अध्ययन के अनुसार हर साल महिलाओं को पीरियड्स दर्द की वजह से काम के संबंध में प्रोडक्टिविटी में औसतन 33 फ़ीसदी की कमी पाई गई है जो औसतन 9 दिन की कमी के बराबर है।
  4. पीरियड्स के दौरान कई बार बिस्तर से उठने तक का मन नहीं करता। मन खींचा खींचा सा रहता है। 
  5. ऐसे में ऑफिस का काम सच में बहुत बड़ा टेंशन रहता है।
  6. कम से छुट्टी नहीं ले सकते इसलिए हेल्थ कंप्रोमाइज करनी पड़ती है।
  7. पीरियड्स लीव मिलने लगे तो यह सच में हमें बड़ी राहत दे। और हम बेहतर काम कर सके। इससे महिलाएं मानसिक रूप से कमजोर नहीं पड़ेगी।
  8. यह जरूरी हो जाता है कि इस दौरान दो दिन की छुट्टी और आराम महिलाओं के लिए आवश्यक हो। ताकि कम पर भी इसका कोई नकारात्मक प्रभाव न पड़े।

Period leave application कैसे लिखें

  • आप पीरियड लीव कैसे लेती है : बिहार में मेंस्ट्रुअल लीव को विशेष आकस्मिक अवकाश (Special Casual Leave) नाम दिया गया है।
  • दो दिनों की इस छुट्टी का इस्तेमाल महिला कर्मचारी अपनी जरूरत या इच्छा के मुताबिक महीने में कभी भी कर सकती हैं 
  • कोई महिला इस छुट्टी का इस्तेमाल हर महीने, समान अंतराल पर ही करे, यह न तो व्यावहारिक है, न ही उसके लिए बाध्यकारी।
  • रजोधर्म मासिक धर्म आवेदन(Period leave  application)- पीरियड लीव के दौरान आप एक मासिक धर्म छुट्टी का आवेदन लिख सकती है 
  • और इसे अपनी मानक संसाधन विभाग को जमा कर सकती हैं 
  • यह आपकी अनुपस्थिति का कारण अधिक पेशेवर तरीके से बताया जैसे 
  • मैं जानती हूं की मासिक धर्म अवकाश के लिए कोई आधिकारिक नीति नहीं है 
  • लेकिन मुझे मासिक धर्म में ऐठन हो रही है और मासिक धर्म संकुचन के कारण मैं ठीक से कम नहीं कर पाऊंगी।
  • मैं दर्द निवारक दवाइयां ली हूं लेकिन यह काम नहीं कर रही। यदि आप मुझे छुट्टी दे सकते है तो मैं इसकी सराहना करूंगी। धन्यवाद !
पीरियड से संबंधित किसी भी असमान्य समस्या के लिए डॉक्टर से संपर्क करें। खुद का ध्यान रखने के लिए हीटिंग पैड या गर्म पानी की बोतल का इस्तेमाल करें । पर्याप्त नींद लें। पर्याप्त पानी का सेवन करें। पौष्टिक भोजन का सेवन करें। कमजोरी से बचने के लिए आहार में प्रोटीन शामिल करें। आरयन युक्त खाद्य पदार्थों का सेवन करें। मल्टीविटामिन का सेवन करें।
इसे भी पढ़ें -