कार्योत्तर अनुसंधान:Ex post Facto Research kya hai.पूर्व पोस्ट फैक्टो शोध से क्या अभिप्राय है?प्रतिगामी/एक्स पोस्ट फैक्टो शोध के लाभ,महत्व गुण एवं दोष

 EX POST FACTO RESEARCH: जैसा कि नाम से ही पता चलता है की पूर्व में घटी हुई घटना या तथ्यों के बाद का कार्य रिसर्च एक्स पोस्ट फैक्टो है। मतलब किसी घटना के "बाद में किए गए कार्य" से है। यह शोध की एक ऐसी श्रेणी है जिसमें शोधकर्ता के हस्तक्षेप के बिना तथ्य सामने आने के बाद जांच शुरू होती है। आइए इसे और विस्तार से समझते हैं। जैसे-

एक्स पोस्ट फैक्टो के उदाहरण के लिए किसी नगर में सांप्रदायिक दंगा होने पर शोधकर्ता इस घटना का अध्ययन करके यह पता लगाना चाहता है कि इस दंगे के पीछे कारण क्या है? 

एक्स पोस्ट फैक्टो शोध [Ex post Facto Research] क्या है?| पूर्व कार्योत्तर अनुसंधान डिजाइन परिभाषा।
 Ex post Facto Research kya hai in Hindi 

मान लें की घटना के अध्ययन से शोधकर्ता को मालूम होता है कि इस घटना के तीन दिन पहले एक विशेष राजनीतिक दल के नेताओं द्वारा संप्रदायिकता को भड़काने वाले उत्तेजक भाषण दिए गए थे। इस तरह जो घटना पहले घट चुकी है के बारे में बताएं तो यह एक्स पोस्ट फैक्टो रिसर्च का उदाहरण हुआ।

एक्स पोस्ट फैक्टो रिसर्च से क्या अभिप्राय है? Ex post Facto 

प्रतिगामी शोध या तत्पश्चात तत्परिणामी शोध क्या है :यह शोध प्रतिगामी या कार्योत्तर शोध भी कहलाते है। यह एक अप्रयोगात्मक शोध है जिसमें अनुसंधानकर्ता किसी परिणाम (effect) के आधार पर उसके संभावित करणों का पता लगाने की कोशिश करता है। अर्थात घटना घट जाने के बाद शोधकर्ता शोध प्रारंभ करता है। इसे ही प्रतिगामी या एक्स पोस्ट फैक्टो शोध कहते हैं।

इस तरह की शोध में स्वतंत्र चर की अभिव्यक्ति आश्रित चर के सामने आने के बहुत पहले ही हो चुकी होती है। रिसर्चर को पहले से घट चुकी घटना को देखकर उस घटना के करणों को ढूंढा जाता है। 

इस शोध में शोधकर्ता स्वतंत्र चर में किसी तरह का कोई जोड़ तोड़ (manipulation) या परिवर्तन नहीं कर सकता है। एक्स पोस्ट फैक्टो (Ex-post-facto) एक लैटिन शब्द है इसका अर्थ बाद में होने वाली क्रिया या बाद में किया गया अध्ययन है।

पूर्व कार्योत्तर अनुसंधान डिजाइन का अर्थ: पूर्व कार्योत्तर शोध को एक अर्धप्रयोगात्मक अध्ययन माना जाता है जो इस बात पर ध्यान केंद्रित करता है कि जो क्रियाएं पहले हो चुकी है वह कुछ करणों की भविष्यवाणी कैसे कर सकती है जो बिना संशोधन व हेर-फेर किए हो। 

क्योंकि इसमें समूहों को बनाने के लिए पहले से मौजूद विशेषता का उपयोग किया हुआ है। यह शोध स्वतंत्र चर और आश्रित चर के बीच कारण और प्रभाव संबंध का पता लगाने के लिए परिकल्पनाओं का परीक्षण करता है। इस प्रकार के डिजाइन में शोधकर्ता की राय शोध के लिए विशेष रूप से प्रासंगिक होती है।

एक्स पोस्ट फैक्टो शोध की परिभाषा [Ex post facto Definition]

कार्योत्तर अनुसंधान को परिभाषित करते हुए मनोवैज्ञानिक ए.के. सिंह ने कहा है- "एक्स पोस्ट फैक्टो शोध एक अनुभाविक (Empirical investigation) शोध है जिसमें शोधकर्ता चारों के बीच के संबंध के बारे में ऐसे स्वतंत्र चरों के आधार पर अनुमान लगाता है जिसकी अभिव्यक्ति पहले हो चुकी होती है। इस तरह के शोध में अनुसंधानकर्ता को स्वतंत्र चरों की अभिव्यक्ति पर कोई नियंत्रण नहीं रहता क्योंकि वे प्रभाव दिखाने के बहुत पहले घटित हो चुके होते हैं।"

मनोवैज्ञानिक कारलिंगर के अनुसार, "प्रतिगामी शोध वह शोध है जिसमें स्वतंत्र चर घटित हो चुका होता है और जिसमें शोधकर्ता आश्रित चर या चारों के निरीक्षण से अध्ययन आरंभ करता है। तब वह स्वतंत्र चरों का अध्ययन करता है जिससे कि आश्रित चर या चरों के रूप में प्रकट उनके प्रभावों और इन दोनों चरों के संभव सम्बन्धों का पता लगाया जा सके।" -Kerlinger, 2002

आप्रयोगात्मक शोध में आश्रित चर का निरीक्षण उसी स्वाभाविक रूप में किया जाता है जिस रूप में वह घटित होता है और स्वतंत्र चर की खोज उन घटनाओं के आधार पर की जाती है, जो अनुमानत: उस आश्रित चर के पूर्व घटित हो चुकी होती है।" - मनोवैज्ञानिक मोहसिन (Mohsin 1984).

पूर्व पोस्ट फैक्टो शोध का महत्व क्या होता है?

एक्स पोस्ट फैक्टो रिसर्च कब और कहां किया जाता है : प्रतिगामी शोध का महत्व सामाजिक, नैदानिक एवं शैक्षिक समस्याओं के समाधान में प्रयोगात्मक शोध की तुलना में ज्यादा है।
सामाजिक समस्याएं जटिल होती है जिनका अध्ययन सिर्फ स्वाभाविक परिस्थिति में ही किया जा सकता है। भारतीय समाज में सांप्रदायिकता, जातिवाद आदि ऐसी कुछ सामाजिक, व्यावहारिक समस्याएं हैं जिनका समाधान प्रयोगात्मक शोध के द्वारा न होकर प्रतिगामी शोध के द्वारा ही किया जा सकता है।

विभिन्न शैक्षिक समस्याओं जैसे बच्चों का पढ़ाई छोड़ देना, कक्षा में पीछे जाना, आपराधिक व्यवहार करना आदि समस्याओं के समाधान के लिए प्रतिगामी शोध ज्यादा उपयुक्त होता है। कई अपराधों में पूर्व पोस्ट फैक्टो कानून(Act,20) भी मददगार साबित होता है।

एक्स पोस्ट फैक्टो शोध की विशेषताएं 

  • इस शोध में शोधकर्ता का अध्ययन परिस्पथिति पर कोई नियंत्रण नहीं रह जाता है।
  • इस प्रकार के शोध में शोधकर्ता किसी व्यवहार या घटना के प्रभाव के आधार पर उसके संभावित करणों का पता लगते हैं।
  • अर्थात एक्स पोस्ट फोटो शोध में अध्ययन किसी आश्रित चर से आरंभ होता है 
  • और किसी स्वतंत्र चारों तक पहुंच कर समाप्त हो जाता है।
  • बता दें कि यहां घटना (आश्रित चर) के आधार पर उसके संभावित करणों (स्वतंत्र चर) की खोज की जाती है।
  • इन दोनों चारों के बीच सहवर्ती परिवर्तन देखा जाता है इसी आधार पर दोनों के बीच एक निश्चित संबंध के बारे में अनुमान लगाया जाता है।
  • यहां शोधकर्ता का तर्क सामान्य विश्वास पर आधारित होता है कि 
  • जो घटना किसी दूसरी घटना के घटित होने पर घटती है वह उसी दूसरी घटना का परिणाम हो सकती है।
  • एक्स पोस्ट फैक्टो शोध में स्वतंत्र चर का परिचालन नहीं किया जाता है।
  • इसके दो कारण होते हैं एक तो शोधकर्ता का स्वतंत्र चर पर कोई नियंत्रण नहीं होता 
  • और दूसरा स्वतंत्र चर प्राकृतिक घटना के रूप में शोध कार्य शुरू करने के पहले ही घट चुका होता है।
  • इसकी मुख्य विशेषता यह है कि यह स्वाभाविक वातावरण में किया जाता है। कहने का मतलब है
  • कि जिस रूप में वह होती है उसी स्वाभाविक एवं प्राकृतिक रूप में इसका अध्ययन किया जाता है।

एक्स पोस्ट फैक्ट शोध का लाभ एवं गुण

Non-Experimental Research Advantage: चूंकि इस शोध विधि में स्वतंत्र चर शोधकर्ता का कोई नियंत्रण नहीं रहता इसीलिये वहां परिस्थितियों (स्वतंत्र चर तथा आश्रित चर) का कारण-कार्य (cause and effect) संबंध के रूप में अध्ययन करने की एकमात्र विधि प्रतिगामी शोध ही हैं।

कुछ विशेष परिस्थितियों में जहां शोधकर्ता द्वारा किसी व्यवहार या घटना का प्रभाव (effect) के आधार पर उसके करणों का अध्ययन किया जाता है वहां Ex post facto शोध ही इसके लिए सबसे उपयुक्त विधि है। इसलिए इसे 'कारण तुलनात्मक अनुसंधान' के रूप में भी जाना जाता है।

घटनोत्तर (ex post facto) शोध के 10 गुण है -

  1. एक्स पोस्ट फैक्टो शोध में लचीलापन का गुण देखा जाता है।
  2. इस शोध में स्वाभिकता का गुण पाया जाता है। यहां अध्ययन स्वाभाविक स्थिति में किया जाता है।
  3. इस शोध में शोधकर्ता ना तो स्थिति को नियंत्रित करता है ना ही उसमें किसी तरह का परिवर्तन लाता है।
  4. न तो शोधकर्ता स्वतंत्र चर को प्रचलित करता है बल्कि जिस रूप में आश्रित चर तथा स्वतंत्र चर घटित होते हैं
  5. उसी रूप में उसका अध्ययन करके उनके बीच संबंधों को स्थापित करने का प्रयास करता है।
  6. इस विधि में शोधकर्ता अपनी आवश्यकता एवं शोध समस्या के अनुसार अपने कार्य प्रणाली में परिवर्तन लाकर अपने लक्ष्य को प्राप्त कर सकता है।
  7. यह शोध प्रयोगात्मक शोध से भिन्न है क्योंकि ऐसा गुण प्रयोगात्मक शोध में नहीं देखा जाता है।
  8. किसी प्रभाव के कारण का विश्लेषण करना उपयोगी है जो इसे प्रयोगिक अनुसंधान पर लाभ देता है।
  9. इसमें मात्रात्मक तरीके से विश्लेषण करते हैं। 
  10. इस तरह की घटनोत्तर अनुसंधान में पूर्वव्यापी तथा वस्तुनिष्ठ ध्ययन होता है। 
यह शोध किसी घटना के 'कैसे और क्या' पहलू का विश्लेषण करने का प्रयास करता है। शोध प्रभावों पर केंद्रित है।

एक्स पोस्ट फैक्टो शोध की सीमाएं/दोष 

 उम्मीद है अब तक आपने ये समझ लिए होंगे कि इतने लाभों के बावजूद भी प्रतिगामी शोध जिसे एक्स पोस्ट फैक्टो शोध भी कहते है, जो कि बहुत लोकप्रिया नहीं है क्योंकि इसकी कुछ सीमाएं हैं जिसकी वजह से इसका उपयोग सीमित क्षेत्र में ही होता है। वो सीमाएं निम्नलिखित है -
  1. नियंत्रण का अभाव (lack of control)
  2. परिचालन का अभाव (lack of Manipulation)
  3. यादृच्छिकरण (lack of Randomisation) का अभाव
  4. अनुचित एवं दोषपूर्ण व्याख्या का खतरा (Danger of improper interpretation)
  5. परिशुद्धता (Accuracy) का अभाव
  6. वास्तविकता में अंतर
  7. वैध भविष्यवाणी का अभाव (lack of valid prediction)
नुकसान Disadvantage:-शोधकर्ता अलग-अलग समूह को बेतरतीब ढंग से शोध विषय नहीं सौंप सकता। प्रतिभागियों को बेहतरीन ढंग से अलग-अलग समूह में नहीं बांटा जा सकता। 
यह शोधकर्ता को वह आधार नहीं देता जिसके द्वारा वे स्वतंत्र और आश्रित चर के बीच एक स्पष्ट संबंध को परिभाषित करने में सक्षम होते हैं और वे स्वतंत्र और आश्रित चर के बीच मौजूद रिश्ते के लिए एक व्यवहार्य स्पष्टीकरण प्रदान करने में सक्षम नहीं हो सकते।

निष्कर्ष :
प्रतिगामी या अप्रयोगात्मक शोध (Non-Experimental Research) से प्राप्त निष्कर्ष में विश्वसनीयता नहीं होते हैं। परंतु Ex post facto अन्य शोधों डिजाइनों की तुलना में कम समय लेने वाला और सस्ता है। इसमें संभावना या अनुमान के आधार पर स्वतंत्र चर तथा आश्रित चर के संबंधों की कल्पना की जाती है।
कैंसर का कारण अत्यधिक सिगरेट पीना है यह निष्कर्ष केवल अनुमान के आधार पर निकाला जाता है जबकि वास्तविकता कुछ और भी हो सकती है। व्यावहारिक और सामाजिक से संबंधित पूर्व कार्योत्तर अनुसंधान चर में हेर फेर करने में सक्षम न होकर प्रभावों पर केंद्रित है।

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